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भारत के प्रवासी नागरिकों के लिए गृह मंत्रालय ने किया सर्कुलर जारी, OCI कार्ड रखने वालों पर पड़ेगा इसका असर

भारत के प्रवासी नागरिकों के लिए गृह मंत्रालय ने एक सर्कुलर जारी किया है और ये सर्कुलर 4 मार्च को जारी किया गया है जिसमें गृह मंत्रालय ने OCI कार्डधारकों के लिए नियमों में बड़े बदलाव किया था और इसका असर भारत में ओवरसीज सिटीजन ऑफ इंडिया (ओसीआई) कार्ड रखने वालों को असर होगा।

गृह मंत्रालय द्वारा जारी अधिसूचना के मुताबिक, ओसीआई कार्डधारक को देश में विभिन्न गतिविधियों के लिए अब विशेष परमिट की आवश्यकता होगी, जिसमें मिशनरी, पत्रकारिता करने जैसी गतिविधियां शामिल हैं। साथ ही केंद्र सरकार द्वारा अधिसूचित संरक्षित या प्रतिबंधित क्षेत्रों के भीतर आने वाले किसी भी स्थान का दौरा करने के लिए इसकी जरूरत होगी। वहीं इसमें पूरा अरुणाचल प्रदेश, हिमाचल प्रदेश के हिस्से, जम्मू और कश्मीर के हिस्से, मणिपुर का संपूर्ण हिस्सा, पूरा नागालैंड, राजस्थान के हिस्से, पूरा सिक्किम  और उत्तराखंड के हिस्से शामिल हैं।

वहीं गृह मंत्रालय ने जारी गाइडलाइन में ये भी कहा है कि ऐसे लोग जो मिशनरी, पत्रकारिता करने जैसी गतिविधियों में हिस्सा लेने आना चाहते हैं उन्हें विदेशी क्षेत्रीय पंजीकरण कार्यालय (एफआरआरओ) से विशेष अनुमति लेनी होगी। साथ ही जो ओसीआई कार्ड धारक संरक्षित या प्रतिबंधित क्षेत्रों में जाना चाहते हैं, विदेशी राजनयिक मिशन के इंटर्नशिप प्रोग्राम में हिस्सा लेना चाहते हैं। उन्हें भी पूर्व अनुमति के लिए आवेदन देना होगा।

इसी के साथ नए नियमों के मुताबिक ओसीआई कार्डधारकों को इन गतिविधियों के अलावा, किसी भी उद्देश्य के लिए भारत आने के लिए मल्टीपल-एंट्री आजीवन वीजा के लिए आवेदन कर सकते हैं। इसके तहत विदेशी नागरिकों को कुछ मामलों पर भारतीय नागरिकों और यहां नहीं रहने वाले भारतीयों के साथ घरेलू हवाई यात्रा में शुल्क और राष्ट्रीय उद्यानों, वन्यजीव अभयारण्यों, राष्ट्रीय स्मारकों, ऐतिहासिक स्थलों और भारत में संग्रहालयों के लिए प्रवेश शुल्क के मामले में ओसीआई कार्डधारकों को भारतीय नागरिकों के साथ समानता दी जाएगी। वहीं ओसीआई कार्डधारकों को भारतीय बच्चों को गोद लेने, अखिल भारतीय प्रवेश परीक्षाओं जैसे नीट, जेईई मेंस, जेईई एडवांस्ड या फिर इस तरह की दूसरी परीक्षाओं में एनआरआई सीट या फिर ऐसी अन्य सीट पर एनआरआई के समान ही पात्र माना जाएगा।

आपको बता दें, ओसीआई नागरिक भारतीय मूल के होते हैं। जब वे विदेशी नागरिकता ग्रहण कर लेते हैं तो वे भारत के नागरिक नहीं होते हैं। भारत दोहरी नागरिकता की अनुमति नहीं देता है, लेकिन नागरिकता अधिनियम 1955 की धारा 7 बी (आई) के अंतर्गत लाभ प्रदान करता है।