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यूएई में एजेंटों द्वारा फंसे 64 भारतीय कामगारों को अपार्टमेंट से बचाया गया, पासपोर्ट भी मिला वापस

शारजाह से एक बड़ी खबर सामने आई है। खबर है कि यहां से चौदह भारतीय कामगारों को एक-बेडरूम के अपार्टमेंट में से बचाया गया है। ये सभी लोग बेईमान भर्ती एजेंटों द्वारा यहां पर पहुंचे थे और इन लोगों को संयुक्त अरब अमीरात में नौकरी देने का वादा किया था लेकिन ये यहां पर फंस गये।

जानकारी के अनुसार, ये सभी लोग भारत के विभिन्न हिस्सों से विजिट वीजा पर शारजाह पहुंचे थे। वहीं फंसे हुए भारतीय कामागरों ने दावा किया कि उन्हें उत्तर प्रदेश के एजेंटों के समूह ने धोखा दिया है। यूएई में ब्लू-कॉलर श्रमिकों के रूप में नियुक्त किए जाने के बाद उनमें से प्रत्येक ने Rs150,000 (Dh7,500) का भुगतान किया था लेकिन नौकरियां कभी नहीं आईं।

यूएई में एजेंटों द्वारा फंसे 64 भारतीय कामगारों को अपार्टमेंट से बचाया गया, पासपोर्ट भी मिला वापस

वहीं सामाजिक कार्यकर्ता शिराली शेख मुजफ्फर ने इस मामले की जानकारी देते हुए कहा कि रोते हुए शारजाह की सड़क किनारे बैठे कुछ लोगों को देखकर कामगारों की दुर्दशा के बारे में जाना। वहीं इनमें से अधिकांश कामगार भारतीय राज्यों यूपी, बिहार और दिल्ली के कुशल बढ़ई और एसी तकनीशियन हैं। मुजफ्फर ने कहा कि एजेंटों ने उन्हें बताया कि यूएई में उनकी एक कंपनी है, जो कामगारों को खाड़ी देश में रोजगार दिलाने की काम कराती है। इन लोगों ने यूएई में नया जीवन शुरू करने के सपने के लिए एजेंटों को अपनी बचत कमाई का बड़ा हिस्सा दे दिया।

सामाजिक कार्यकर्ता ने बताया कि यूएई में आने के तुरंत बाद एजेंट ने कथित तौर पर एक ड्राइवर को 14 घंटों तक इंतजार करने के बाद उन्हें लेने के लिए भेजा।

यूएई में एजेंटों द्वारा फंसे 64 भारतीय कामगारों को अपार्टमेंट से बचाया गया, पासपोर्ट भी मिला वापस

वहीं जैसे ही उन्हें वैन में बैठाया गया, उन्हें अपने पासपोर्ट सौंपने के लिए कहा गया और फिर शारजाह में एक बेडरूम वाले फ्लैट में ले जाया गया। उन्हें एक बार भोजन दिया गया और प्रत्येक को चपाती और चाय का एक टुकड़ा मिला। लेकिन बाद में, एजेंटों ने कथित तौर पर उन्हें बताया कि अब उन्हें खुद ही कमाई के लिए साधन जुटाना चाहिए। इसके बाद उन्होंने बताया कि एजेंटों से उनके पासपोर्ट के लिए कहा, तो उन्हें एक कमरे में ले जाया गया, जहां उनके साथ मारपीट की गई और लाठी से पीटा गया।

वहीं एजेंटों ने कामगारों को धमकी दी कि यदि वे विरोध करते हैं तो वे उन्हें अपने देश वापस नहीं भेजेंगे।”

इसके बाद रात भर कामगार के साथ बैठने के बाद, मुजफ्फर ने अपने सभी विवरणों को ले लिया और अबू धाबी के एक परोपकारी व्यक्ति से संपर्क किया, जिन्होंने समूह के लिए भोजन की आपूर्ति और अन्य आवश्यकताओं की व्यवस्था करी। वहीं सामाजिक कार्यकर्ता मुजफ्फर हिदायत अण्डूर और कर्नाटक एनआरआई के अध्यक्ष और व्यवसायी प्रवीण कुमार शेट्टी के साथ – भारत के महावाणिज्य दूतावास के अधिकारियों को समूह के परिणाम की सूचना दी। मिशन कार्रवाई में जुट गया और कामगारों के कागजात इकट्ठा करना शुरू कर दिया।

यूएई में एजेंटों द्वारा फंसे 64 भारतीय कामगारों को अपार्टमेंट से बचाया गया, पासपोर्ट भी मिला वापस

इसी के साथ वाणिज्य दूतावास उन एजेंटों से संपर्क करने में कामयाब रहा, जिन्होंने कामगारों को यूएई में लाया, और उन्हें जल्द से जल्द मामला सुलझाने का आदेश दिया। मिशन ने कंसल्टेंसी के अध्यक्ष को कामगारों के पासपोर्ट वापस करने और उन लोगों के हवाई टिकट और कोविद परीक्षणों की व्यवस्था करने का भी निर्देश दिया जो भारत वापस घर जाने की इच्छा रखते हैं।

वहीं भारतीय वाणिज्य दूतावास के निर्देशानुसार, कार्यकर्ताओं ने एजेंटों के कार्यालय का दौरा किया और सभी 64 कामगारों के पासपोर्ट एकत्र किए, और उन्हें सौंप दिया। इसके साथ ही उनके कौशल और विशेषज्ञता के साथ एक सूची बनाई थी, जिससे उन्हें यूएई में नौकरी पाने में मदद मिली, क्योंकि उनमें से कई भारत नहीं लौटना चाहते थे।

वहीं सामाजिक कार्यकर्ता ने कहा कि 64 कामगारों में से हम 22 को प्रत्यावर्तित करने में कामयाब रहे, एजेंसी ने सिर्फ 18 कामगारों के लिए भुगतान किया। इसके अलावा हमारी तरफ से चार टिकट दिए गए क्योंकि एजेंट अधिक भुगतान के लिए अनिच्छुक थे। हमें इस बात की भी खुशी है कि हम यूएई में कुशल श्रमिकों के रूप में उनमें से आठ के लिए रोजगार पाने में सफल रहे। बाकी के लिए, हम अभी भी कोशिश कर रहे हैं।