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कुवैत जाने वाले प्रवासी और कामगार ध्यान दें! 22 अगस्त से शुरू हो रही भारत से फ्लाइट सेवा

कुवैत सरकार ने भारत समेत पांच अन्य देश मिस्र, बांग्लादेश, पाकिस्तान, नेपाल और श्रीलंका से आने वाली वाणिज्यिक उड़ानों को फिर से शुरू करने की घोषणा की। इन देशों से वाणिज्यिक की बहाली 22 अगस्त, 2021 से प्रभावी होगी।

कुवैत समाचार एजेंसी (KUNA) की तरफ से मिली जानकारी के अनुसार, भारत समेत पांच अन्य देश मिस्र, बांग्लादेश, पाकिस्तान, नेपाल और श्रीलंका से आने वाली सीधी उड़ानों को फिर से शुरू करने का निर्णय एक कैबिनेट बैठक में किया गया था जिसमें रेखांकित किया गया था कि यात्रा के दौरान मंत्रिस्तरीय समिति की ओर से निर्धारित कोविड-19 उपायों का सावधानी से पालन किया जाएगा।

कुवैत जाने वाले प्रवासी और कामगार ध्यान दें! 22 अगस्त से शुरू हो रही भारत से फ्लाइट सेवा

आपको बता दें, कुवैत जाने वाले यात्रियों को पासपोर्ट में लिखे गए नाम, टीके का नाम, टीकाकरण की तारीख, प्रशासन निकाय और इन दस्तावेजों को इलेक्ट्रॉनिक रूप से सत्यापित करने के लिए क्यूआर कोड देना पड़ेगा, हालांकि अगर क्यूआर कोड नहीं है तो उस स्थिती में दस्तावेजों को स्वास्थ्य मंत्रालय के लिंक के माध्यम से अपलोड किया जा सकता है।

कुवैत सरकार की तरफ से जिन कोरोना टीकों की मान्यता दी गई है। उसमें फाइजर-बायोएनटेक, ऑक्सफोर्ड-एस्ट्राजेनेका, मॉडर्न और सिंगल शॉट जॉनसन एंड जॉनसन शामिल है। इनमें से अगर कोई भी टीका यात्री प्राप्त करता है तो उसे देश में प्रवेश दिया जाएगा।

कुवैत जाने वाले प्रवासी और कामगार ध्यान दें! 22 अगस्त से शुरू हो रही भारत से फ्लाइट सेवा

मिली जानकारी के अनुसार कुवैत आने वाले प्रवासियों को दो पीसीआर टेस्ट से गुजरना पड़ेगा। इनमें से पहला पीसीआर टेस्ट कुवैत पहुंचने से 72 घंटे पहले करना होगा। वहीं इसमें कोविड निगेटिव आने वाले यात्रियों को कुवैत की फ्लाइट लेने की अनुमति देता है। इसके बाद दूसरा पीसीआर टेस्ट क्वारंटाइन अवधि के दौरान आगमन के सात दिन बाद लिया जाएगा।

माना जा रहा है कि कुवैत द्वारा भारत से फिर से फ्लाइट शुरू किए जाने के फैसले से उन हजारों भारतीय कामगारों और प्रवासियों के लिए राहत की खबर है, जो इस वक्त अपने गृह देश में फंसे हैं और वापस कुवैत नहीं जा पा रहे हैं। दरअसल कई हजार प्रवासी और कामगार ऐसे हैं, जो कुवैत में नौकरी करते हैं, लेकिन कोरोना की वजह से लगे यात्रा प्रतिबंध के कारण भारत में ही फंस गए थे।