अबू धाबी में भारतीय दूतावास ने एक बड़ी घोषणा करी है और ये घोषणा भारतीय पासपोर्ट को लेकर है। दरअसल, भारतीय दूतावास ने जानकारी दी है कि वो कंपनी के पीआरओ (PROs) द्वारा पासपोर्ट आवेदन स्वीकार करेगा।
भारतीय दूतावास की घोषणा के अनुसार, कंपनी पीआरओ द्वारा प्रतिनिधित्व किए गए नागरिकों के साथ पासपोर्ट आवेदन स्वीकार करेगा। इसी के साथ दूतावास ने ये भी कहा कि सभी कर्मचारियों के पासपोर्ट आवेदन जिनमें वरिष्ठ प्रबंधन, निदेशक और सीईओ शामिल हैं, वो निकटतम बीएलएस केंद्र में उनकी कंपनियों के पीआरओ के माध्यम से आवेदन कर सकते हैं।
इससे पहले आवेदकों को व्यक्तिगत रूप से अपने कागजात प्रस्तुत करने की आवश्यकता थी। वहीं कोविड -19 कि वजह से यह अबू धाबी में अल रुवैस जैसे दूर-दराज के क्षेत्रों से आने वाले लोगों के लिए विशेष रूप से एक चुनौती बन गया था। जिसके बाद दूतावास ने ये कदम उठाया है।
वहीं जो लोग अनुपस्थित में अपने आवेदन प्रस्तुत करना चाहते हैं, उन्हें कई नियमों को ध्यान में रखना चाहिए। उन्हें एक नियोक्ता या कंपनी को दूतावास को संबोधित एक आधिकारिक पत्र जारी करना चाहिए, जो आवश्यक दस्तावेजों के साथ, पूर्ण किए गए पासपोर्ट आवेदनों को प्रस्तुत करने के लिए पीआरओ को अधिकृत करता है।
इसी के साथ कर्मचारी को अपने या अपनी ओर से पासपोर्ट आवेदन जमा करने के लिए उसी पीआरओ को अधिकृत करने वाला एक पत्र भी देना होगा। वहीं पीआरओ, अपनी साख या आईडी पेश करने पर, संबंधित दस्तावेजों के साथ पासपोर्ट आवेदन, प्राधिकरण सहित, निकटतम बीएलएस केंद्र में जमा कर सकते हैं और काउंटर पर नकद द्वारा शुल्क का भुगतान कर सकते हैं।
वहीं दूतावास ने ये भी कहा कि बीएलएस रसीद / डिलीवरी से लेकर पीआरओ तक को संभालने के लिए एक अलग काउंटर होने पर विचार कर सकता है। “जैसा कि अब अभ्यास किया जा रहा है, व्यक्तिगत आवेदक / पीआरओ, इस मामले में, बीएलएस सेंटर में, जब आवेदन किया जाता है या कूरियर के माध्यम से व्यक्ति में नए और पुराने रद्द किए गए पासपोर्ट इकट्ठा करने के विकल्प का उपयोग कर सकता है।”
आपको बता दे, ये कदम कोरोने वायरस के कारण उठाया गया है ताकि इस वायरस के संक्रमण को फैलने से रोका जा सकें। इस कोरोना वायरस से अभी तक 15 लाख से ज्यादा लोगों की मौत हो चुकी है साथ ही 5 करोड़ से ज्यादा लोग इस वायरस से संक्रमित हो चुके हैं।