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दुबई में चार साल से बुजुर्ग भारतीय दंपति कर रहे थे कानूनी मुद्दों का सामना, समुदाय की मदद से लौटे वापस

दुबई से एक बड़ी खबर सामने आई है। खबर है कि चार वर्षों के बाद एक बुजुर्ग भारतीय जोड़ा वापस स्वदेश लौटा है।दुबई में भारत के महावाणिज्य दूतावास ने ट्वीट करके जानकारी दी है कि कानूनी मुद्दों का सामना करने के बाद, दुबई में एक बुजुर्ग भारतीय जोड़े को आखिरकार वापस लाया गया है।

जानकारी के अनुसार, दुबई में 65 वर्ष और 61 वर्ष के दंपति किराये के विवाद मामले सहित कई वित्तीय मुद्दों के कारण अमीरात में फंसे हुए थे, जिसकी वजह से ये लोग चार वर्षों तक कानूनी मुद्दों का सामना करते रहे।

वहीं इस मामले की जानकारी देते हुए दुबई में भारत के महावाणिज्य दूतावास में labour consul, consular, and Madad जितेंद्र नेगी ने खलीज टाइम्स को बताया कि बुजुर्ग दंपत्ति 2016 में एक्सपायर वीजा पर रहे थे। हम इस मामले के बारे में एक साल से जानते हैं। भले ही कई अन्य कानूनी जटिलताओं को पिछले साल खत्म कर दिया गया, लेकिन बाद में पता चला एक रेंटल मामला भी बुर्जुग संपत्ति के खिलाफ चल रहा है।

दुबई में चार साल से बुजुर्ग भारतीय दंपति कर रहे थे कानूनी मुद्दों का सामना, समुदाय की मदद से लौटे वापस

जितेंद नेगी ने कहा अचल संपत्ति के मामले और बकाया राशि का भुगतान किए बिना मामले में कंपनी उन्हें राहत नहीं मिल सकती थी। बुजुर्ग संपत्ति की दिक्कत उस वक्त बढ़ी, जब साल 2014 में बुजुर्ग पुरुष ने अपनी नौकरी खो दी। लंबे समय तक दुबई में रहने वाले इस दंपति को उस समय अकेला छोड़ दिया गया था जब उस आदमी की कंपनी दिवालिया हो गई थी।

वहीं दुबई में भारत के महावाणिज्य दूतावास ने इस मामले को लेकर आगे कहा  कि हमारा उद्देश्य उन्हें भारत में वापस लाने से पहले एमनेस्टी अवधि समाप्त होने से पहले था। हालांकि सौभाग्य से, तमिल लेडीज एसोसिएशन, दुबई कंप्यूटर ग्रुप, और Buimerc के कार्यकारी अध्यक्ष सिद्धार्थ बालाचंद्रन सहित कई सामाजिक समूहों द्वारा मदद प्रदान की गई जिसके बाद हम उनके प्रत्यावर्तन को सुविधाजनक बनाने में सक्षम रहे।  वहीँ भारतीय मिशन ने दंपति को वित्तीय सहायता भी प्रदान की थी।

इसी के सतह दंपति की सहायता करने वाली सामाजिक कार्यकर्ता उमा शंकरी ने कहा: “युगल का बकाया किराया Dh194,000 पर था। हालांकि, बिल्डर के साथ कई बैठकों के बाद, वे Dh50,000 के लिए समझौता करने के लिए सहमत हुए। वहीं दुबई कंप्यूटर समूह से जुड़े कई उदार प्रायोजकों ने अपने उद्देश्य के लिए धन दान करने पर सहमति व्यक्त की। जिसके बाद वो लोग कानूनी मुद्दों से आजाद हुए और बुजुर्ग भारतीय जोड़े को वापस स्वदेश लाया गया।