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Eid al-Adha 2023: भारत में आज मनाया जा रहा बकरीद का त्योहार, जानिए कुर्बानी के रिवाज के पीछे की क्या है कहानी

Eid al-Adha 2023: वैसे तो ईद दुनियाभर में मनाई जाती है लेकिन आज यानी कि 29 जून को भारत भर में ईद की धूम सुनाई दे रही है। यह त्यौहार बड़े ही हर्षोल्लास के साथ मनाया जा रहा है। ईद की नमाज अदा होने के बाद देश के मुस्लिम बकरे या किसी अन्य जानवर की कुर्बानी करके हर्षोल्लास के साथ त्यौहार मनाते हैं। ईद के त्यौहार में कुर्बानी का एक विशेष स्थान होता है।

जानवर की कुर्बानी देने के बाद जानवर से निकलने वाले मां स को तीन हिस्सों में विभाजित यानी कि बांटा जाता है। इन तीन हिस्सों में से एक हिस्सा खुद के लिए रखा जाता है, एक को गरीबों में दान किया जाता है जबकि एक हिस्से को रिश्तेदारों को दिया जाता है। यह प्रक्रिया पूरी करने के बाद बकरीद में जानवरों की कुर्बानी को सही करार दिया जाता है।

जानिए कुर्बानी के इतिहास के बारे?

बकरीद के दिन कुर्बानी के बारे में कहा जाता है कि इस्लाम की जो मान्यताएं हैं उसके मुताबिक पैगंबर हजरत इब्राहिम 80 साल की आयु में पिता बने थे। उनके पुत्र का नाम इस्माइल था। जिन्हें इब्राहिम बहुत अधिक मानते थे।

जिस दिन इब्राहिम के बेटे का जन्म हुआ था उसी रात को उन्हें एक सपना आया कि उन्हें अपनी सबसे अजीज यानी की प्यारी वस्तु की कुर्बानी देनी होगी। धर्म से जुड़े हुए जानकार लोगों का कहना है कि हजरत इब्राहिम के लिए या अल्लाह का फरमान था। इसके बाद उन्होंने अपने बेटे की कुर्बानी दी थी।

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बेटे की कुर्बानी देने से पहले आंखों पर बांधी थी काली पट्टी

‘हजरत इब्राहिम ने अपने बेटे की बलि देने से पहले आंखों पर काली पट्टी बांध ली थी।’- इस्लाम में मान्यताओं के अनुसार। आंखों में काली पट्टी बांधने के बाद उन्होंने बेटे की गर्दन पर छूरी रखी। जैसे ही उन्होंने बेटे की गर्दन पर छुरी चलाई तो उनकी बेटी की जगह पर एक बकरा आ गया। इसके बाद जब इब्राहिम ने अपनी आंखों से पट्टी को हटाया तो उन्होंने देखा कि उनका बच्चा सही था।

…तभी से शुरू हुआ है कुर्बानी का रिवाज

इस्लाम धर्म में जो मान्यताएं हैं उसके अनुसार, इब्राहिम ने इस्माइल के गर्दन पर छूरी चलाकर उनकी कुर्बानी कुर्बानी देने जैसा बड़ा कदम उठाया था। लेकिन इस दौरान खुदा इब्राहिम की परीक्षा ले रहे थे। तब से लेकर आज तक यह परंपरा जारी है।

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