चीन से दुनियाभर के देशों में फैले कोरोना वायरस से सभी सेक्टर बुरी तरह प्रभावित हुए हैं और इस वजह से खाड़ी देशों में काम करने गये भारतीय प्रवासी की नौकरी चली गयी है। वहीं इस कोरोना कहर के बीच खबर है कि कुवैत (Kuwait) नया कानून लेकर आ रहा है और इस कानून के चलते 8 लाख से ज्यादा भारतीयों का वीजा रद्द हो सकता है।
दरअसल, कोरोना कहर के बीच तेल पर निर्भर कुवैत की अर्थव्यवस्था बेहद ही खराब हो गयी है। जिसकी वजह से कुवैत सरकार ने यहां पर काम करने आए प्रवासियों के लिए नियम सख़्त कर रही हैं ताकि स्थानीय लोगों को रोज़गार मिल सके।
जानकारी के अनुसार, कुवैत की नेशनल असेंबली ने प्रवासी कामगारों की संख्या सीमित करने के लिए मसौदा तैयार कर लिया है। ये कानून कुवैत में प्रवासी कामगारों की संख्या सीमित करेगा और इसे आने वाले 6 महीने के भीतर ही लागू कर दिया जाएगा।
Assembly bill on demography eyes expat quotas, visa curbs https://t.co/pLnwob0Qak via @@kuwaittimesnews
— Kuwait Times (@kuwaittimesnews) August 22, 2020
वहीं इस नए मसौदे में कुछ ख़ास वीज़ा की मान्यता रद्द करने का भी प्रस्ताव है। रिपोर्ट के मुताबिक इस क़ानून की दस अलग-अलग श्रेणियों में कोटा सिस्टम पर छूट दी जाएगी। यह छूट घरों में काम करने वालों, मेडिकल स्टाफ़, शिक्षक और जीसीसी के नागरिकों को मिलेगी। वहीं इस नए कानून के अनुसार, अब लोग यात्रा वीज़ा को वर्क वीज़ा में तब्दील करने की सुविधा का भी लाभ नहीं उठा पाएंगे, इसे पूरी तरह प्रतिबंधित किये जाने का प्रस्ताव है। इसके अलावा कोई डोमेस्टिक हेल्पर प्राइवेट या ऑयल सेक्टर में काम नहीं कर सकता है। कुवैत प्रवासियों की संख्या कम करने के लिए कई स्तरों पर काम कर रहा है।
मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, कुवैत के इस फैसले का असर सबसे ज्यादा भारतीयों पर पड़ने वाला है। लार्सन एंड टूर्बो में चीफ़ एग्जेक्युटिव प्रतीक देसाई ने एक मीडिया चैनल को बताया है कि वो 25 सालों से कुवैत में रह रहे हैं, लेकिन ये नया कानून उन्हें भी डरा रहा है। उन्होंने कहा कि इस बिल के लागू होने के बाद आठ लाख भारतीयों को कुवैत छोड़ना पड़ सकता है। 40 लाख की आबादी में यहां 70 फ़ीसदी प्रवासी हैं। इस बिल का लक्ष्य प्रवासियों की तादाद 30 फ़ीसदी करना है।
वहीं इस नए कानून के तहत कुवैत ने कोटा सिस्टम लागू करने की योजना बनाई गयी है जिसके तहत भारतीयों को नौकरी के लिए सबसे ज्यादा 15% रिजर्वेशन दिया जाने वाला है। हालांकि 70 फ़ीसदी प्रवासी आबादी को घटा कर 30% करने के क्रम में भारतीय इसके सबसे बड़े शिकार होंगे। कुवैत की 40 लाख आबादी में 10 लाख से भी ज्यादा भारतीय रहते हैं। ऐसे में 15% को रहने भी दिया जाएगा तो करीब 8 लाख से ज्यादा के वीजा कैंसिल हो जाना तय माना जा रहा है।
आपको बता दें, भारत के अलावा यहां पाकिस्तान, फ़िलीपींस, बांग्लादेश, श्रीलंका और मिस्र के लोग हैं। वहीं भारत सरकार भी कुवैत के इस बिल को लेकर चिंतित है।