कोरोना वायरस की वजह से सभी सेक्टर बुरी तरह प्रभवित हुए हैं और इस वजह से कई लोगों की नौकरी चली गयी है साथ ही जिन लोगों की नौकरी चल रही है है। उनकी सैलरी में कटौती की गयी है। वहीं इस बीच कुवैत में शुएबा पोस्ट पर काम करने वाले 105 भारतीय कामगारों ने भारतीय दूतावास में एक याचिका दर्ज की है।
दरअसल, कुवैत में शुएबा पोस्ट पर काम करने वाले एक समूह के 105 भारतीयों ने कुवैत में भारतीय दूतावास को अपनी ओर से हस्तक्षेप करने के लिए याचिका दी है क्योंकि उन्हें जून के बाद से उनका वेतन नहीं मिला है। चार महीने के वेतन के बिना, श्रमिक अपने बिलों का भुगतान करने और बुनियादी आवश्यकताओं को खरीदने में असमर्थ हैं। साथ ही किराए का भुगतान करने में असमर्थ,
कामगार चिंतित हैं कि वे अपने घरों से बेदखल कर दिए जाएंगे, क्योंकि मकान मालिक ने अपने अपार्टमेंट में लिफ्ट और पानी की आपूर्ति पहले ही काट दी है। कई अन्य लोगों की तरह, कर्मचारी भी भारत लौटने का इंतजार कर रहे हैं लेकिन ऐसा नहीं कर पाए हैं क्योंकि वे अपना वेतन प्राप्त करने के लिए इंतजार कर रहे हैं। और इस वजह से उन लोगों ने भारतीय दूतावास में याचिका दर्ज की है।
वहीं बहुत से लोग पैसे के बिना रहे हैं क्योंकि वे बिना काम के नो-पे पॉलिसी से प्रभावित हुए हैं, जो कि ज्यादातर कंपनियां संचालित करती हैं, हालांकि पॉलिसी कुवैती कानून के तहत अवैध मानी जाती है। इसी के सतह जुलाई में, लगभग 150-200 रेस्तरां कार्यकर्ता, एक प्रसिद्ध लेबनानी श्रृंखला के लिए काम कर रहे हैं, उन्होंने दावा किया कि उन्हें पिछले 3 महीनों से सैलरी का भुगतान नहीं किया गया है।
इसी के साथ सार्वजनिक प्राधिकरण के उप निदेशक डॉ। मुबारक अल आज़मी ने अल राय को बताया, कि उन्हें कर्मचारियों से लगभग 3,000 शिकायतें मिलीं, जिनमें से सभी एक्सपैट थे, क्योंकि उनकी कंपनियों ने उन्हें COVID के दौरान उनके वेतन का भुगतान नहीं किया था।
आपको बता दें, इस कोरोना वायरस की वजह से लॉकडाउन लगाया गया है और इस लॉकडाउन की वजह से सभी सेक्टर बंद हो गया जिसकी वजह से कई लाख लोगों की नौकरी प्रभवित हई है साथ ही कुवैत में काम करने वाले लोगों की नौकरी चली गयी जिस वजह से ये लोग वापस स्वदेश लौटे हैं।