इंटरनेशनल एयर ट्रांसपोर्ट एसोसिएशन (IATA) चाहता है कि भारत को शेड्यूल अंतरराष्ट्रीय उड़ानों को फिर से शुरू करना चाहिए। न्यूज एजेंसी ANI की खबर के मुताबिक, इंटरनेशनल एयर ट्रांसपोर्ट एसोसिएशन की तरफ से यह डिमांड रखते हुए जानकारी दी है कि अगर अभी परमिशन मिल जाए तो एयर ट्रैफिक को कोरोना से पहले के लेवल में आने में कम से कम तीन साल का समय लगेगा।
बता दें, नागरिक उड्डयन मंत्रालय ने पिछले मई में घरेलू हवाई यात्रा को फिर से शुरू करने के बाद क्षमता और किराए पर लिमिट तय कर दी थी। इसी तरह शेड्यूल अंतरराष्ट्रीय उड़ानें अभी भी भारत द्वारा निलंबित है। फिलहाल 25 से अधिक देशों के साथ हवाई यात्रा एयर बबल के रूप संचालित की जा रही है।
IATA, जो भारत में चार सहित 290 से अधिक वैश्विक एयरलाइनों का प्रतिनिधित्व करता है, को लगता है कि कोरोना की वजह से लगे हवाई प्रतिबंध की अब आवश्यकता नहीं है। मंगलवार को मीडियाकर्मियों के साथ बातचीत में, आईएटीए के महानिदेशक विली वॉल्श ने कहा कि भारत सरकार को निर्णय लेने चाहिए और उन नियमों को हटा देना चाहिए जो विमानन उद्योग को वापस सुधार करने की अनुमति देने की क्षमता को प्रभावित करते हैं।
आईएटीए के डायरेक्टर जनरल विली वॉल्श ने आगे कहा कि पॉलिटिशियन भारत के एयर ऑपरेशन पर रोक तो तुरंत लगा देते हैं लेकिन इसे हटाते काफी देर से हैं। इस बात को वॉल्श कोविड-19 संकट के चलते ग्लोबल एविएशन इंडस्ट्री पर पड़ने वाले मौजूदा असर के बारे में आयोजित प्रेस कॉन्फ्रेंस में यह बातें कहीं।
उन्होंने कहा कि भारत अगर अभी एयर ट्रैफिक को ओपन करता है तो साल 2019 से पहले के लेवल 100 प्रतिशत लोड फैक्टर हासिल करने में तीन साल का समय लगेगा। भारतीय हवाई यात्रा एयर बबल मूल रूप से विदेशों में फंसे लोगों को निकालने के लिए थे और यह प्रणाली अब प्रासंगिक नहीं है क्योंकि मौजूदा परिस्थिती बीते साल से अलग है।
वॉल्श को यह भी उम्मीद है कि सरकार घरेलू बाजार में क्षमता और किराया पर लगे सीमा को समाप्त कर देगी। भारतीय एयरलाइनों को केवल 65 प्रतिशत क्षमता के साथ उड़ान भरने की अनुमति है लेकिन वर्तमान में वास्तविक क्षमता केवल लगभग 50-55 प्रतिशत है। भारत अगर अभी एयर ट्रैफिक को ओपन करता है तो साल 2019 से पहले के लेवल 100 प्रतिशत लोड फैक्टर हासिल करने में तीन साल का समय लगेगा।
आईएटीए के डायरेक्टर ने कहा कि रोक हटे तो साल 2022 तक 80 प्रतिशत, 2023 तक 90-95 प्रतिशत और 100 प्रतिशत लोड फैक्टर साल 2024 में हासिल किए जा सकेंगे। वॉल्श कहते हैं कि भारत में सरकार की तरफ से एयरलाइन कैपिसिटी और किराए पर लिमिट तय करने से डोमेस्टिक मार्केट के रिवाइवल की गति स्लो हो जाएगी। दुनिया में जितने भी बड़े डोमेस्टिक मार्केट वाले देश हैं, उनमें भारत की रिकवरी रेट सबसे कम है। वॉल्श ने कहा कि हमें उम्मीद है कि बहुत जल्द चीजें काफी बदलेंगी।