राजस्थान के डूंगरपुर जनपद के एक आदिवासी परिवार से ताल्लुक रखने वाले शख्स को करोड़पति बनने की बड़ी खबर मिली है। आदिवासी परिवार का लड़का दुबई में रसोइए का काम करता है। उसकी दुबई में 1 करोड़ दिरहम ( करीब 20 करोड़ भारतीय रुपए) की लॉटरी लगी है।
दूसरी तरफ रामा की लॉटरी लगने से उसके परिजनों और गांव वालों की खुशी का ठिकाना नहीं है। डूंगरपुर जनपद के साबला उपखंड में ग्राम पंचायत निरहुआ के सालमगढ़ के रहने वाले गरीब आदिवासी परिवार में जन्म लेने वाले रामा मीणा ने तकरीबन 30 साल तक मुंबई में चाय की दुकान पर कामकाज किया।
लेकिन कुछ ही दिनों पहले वे पैसे जोड़ बटोर कर दुबई कमाने चले गए थे वहां पर वह इस दौरान रसोइए का काम कर रहे थे। बीते कुछ दिनों पहले ही उन्होंने एक कंपनी का भारतीय रुपयों के लिहाज से ₹700 का लॉटरी टिकट खरीदा था।
रामा को कंपनी ने सौंपा एक करोड़ दिरहम का चेक
20 करोड़ रुपए की लॉटरी जीतने वाले रामा ने बताया कि जब को सो रहे थे उसी दौरान कंपनी का फोन आया और उनसे कहा गया कि उनकी एक करोड़ दिरहम (Dirham) यानी कि दुबई (Dubai) की मुद्रा की लॉटरी लगी है। जो राशि भारत के पैसों में बदलने पर तकरीबन 20 करोड़ रुपए होती है।
लॉटरी जीतने की खबर सुनकर रामा (Rama) चौकन्ने रह गए और तुरंत उन्होंने इस बात की जानकारी अपने परिजनों और दोस्तों को दी। इसके बाद दुबई की कंपनी में एक समारोह का आयोजन करते हुए रामा को 1 करोड़ दिरहम (Dirham) का चेक सौंप दिया है।
आखिर इतने पैसों का क्या करेंगे Rama, जानिए क्या बोलें
राजस्थान के डूंगरपुर के रहने वाले रसोइए रामा ने कहा कि वह अब अपनी शहर डूंगरपुर लौटेंगे और सबसे पहले परिवार के ऊपर लदे कर्ज के बोझ को उतारेंगे। उन्होंने आगे बताया कि परिवार की माली हालत खराब होने के कारण उनका परिवार अभी भी गरीबी से जूझ रहा है लेकिन अब परिवार का रहन-सहन सही हो सकेगा।
राजस्थान के इस रसोइए के परिवार में माता-पिता और पत्नी के अलावा चार बेटियां और एक बेटा भी है। लॉटरी लगने के बाद उनके पास फोन आने पर उन्होंने कहा कि मुझे बिल्कुल भी इस बात का यकीन नहीं हो रहा था कि उनकी लॉटरी लगी है मगर लॉटरी का रिजल्ट सोशल मीडिया पर वायरल हो गया। और उनका नाम विजेता लिस्ट में फ़्लैश हो रहा था। आखिरकार जब मेरे नाम की घोषणा हुई तो मुझे काफी खुशी हुई और विश्वास भी हुआ।
11 साल की उम्र में छोड़नी पड़ी थी पढ़ाई, देखता था करोड़पति बनने का सपना
गौरतलब है कि लॉटरी जीतने वाले राणा का कहना है कि गरीबी के कारण उन्हें 11 वर्ष की उम्र में पढ़ाई से नाता तोड़ना पड़ा था। इसके बाद वे मुंबई जाकर चाय की दुकानों पर काम करने लगे थे। इस दौरान उनको कभी भी नहीं महसूस हुआ कि उनकी कभी किस्मत बदलेगी।
मगर मैं रोज लॉटरी में लोगों को करोड़पति बनते देख रहा था। इसी के चलते मैंने टिकट खरीदने का फैसला किया। इतना ही नहीं मैं एक बार में 5- 5 टिकटों की खरीदारी करता था। और अब किस्मत मेरे ऊपर मेहरबान है।