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दुबई की नौकरी छोड़कर भारत लौटा युवक, शुरू किया स्ट्रॉबेरी की खेती; अब कमाते हैं लाखों रुपए

आज के दौर में प्रोफेशनल पढ़ाई करना काफी महंगा है। अगर जो कोई भी प्रोफेशनल पढ़ाई कर भी लेता है तो वैसे भी वह मल्टीनैशनल कंपनीज में नौकरी का रुख करता है। लोगों की विदेश में अच्छी इनकम वाली जॉब लग जाती है।

कुछ ऐसा ही हुआ उत्तर प्रदेश के सीतापुर जनपद के रहने वाले मोहन राजवंशी के साथ। उन्होंने पहले एमबीए की पढ़ाई की और इसके बाद विदेश चले गए नौकरी के लिए। वहां पर काफी समय तक उन्होंने बिजनेस डेवलपमेंट मैनेजर की पोस्ट पर जॉब की।

मोहन राजवंशी (Mohan Rajvanshi) दुबई में अपनी नौकरी के दौरान जब भी फॉर्म में विजिट करने जाते उनके मन में यही बात आपकी कि जब यहां रेगिस्तान में फसलें लहलहा रही हैं तो क्यों ना स्वदेश लौटकर खेती बाड़ी की जाए। ऐसे में उन्होंने भारत वापस लौटने की ठानी।

कोरोनावायरस की समय यानी कि 2022 में मोहन राजवंशी भारत लौटे और उन्होंने सीतापुर कृषि विज्ञान केंद्र(सीतापुर) की सहायता से आधुनिक तकनीकी का सहारा लेकर स्ट्रॉबेरी की खेती करने का फैसला किया। खेती करने से बाकायदा उन्होंने इसके लिए प्रशिक्षण प्राप्त किया।

जानिए फसल के लिए कैसे तैयार करते हैं खेत को

उत्तर प्रदेश (Uttar Pradesh) के सीतापुर जनपद में स्ट्रॉबेरी की खेती करने वाले मोहन राजवंशी जानकारी देते हुए बताते हैं कि फसल से पहले खेत की अच्छी तरह जुताई करते हैं। सोडोमोनास, ट्राईकोडरमा और गुड़ को आपस में अच्छी तरह मिलाकर खेत में छिड़कते हैं।

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इसके बाद रोटावेटर से खेत की अच्छे से जुताई करते हैं और फिर बेड मेकर से बेड बनाकर एक-दो दिनों के लिए छोड़ देते हैं। और उसमे ड्रिप डाल देते हैं। ड्रिप इसलिए डालते हैं क्योंकि पौधों को जरूरत के अनुसार पानी मिलता रहे।

जानिए 1 एकड़ खेती करने में आता है कितना खर्चा

स्ट्रॉबेरी के लिए तैयार की गई थी 1 एकड़ भूमि में तकरीबन 20 हजार पौधे एक 1 फीट की दूरी पर लगाए जाते हैं। ऐसे में पौधे में फंगस लगने की समस्या नहीं आती है। अगर 1 एकड़ के खेत में स्टोबेरी के उत्पादन की बात करें तो तकरीबन 150 से 160 कुंटल उत्पादन होता है।

अगर इस खेती में आने वाले खर्च की बात करें तो पहले साल ड्रिप को मिलाकर तकरीबन 3 लाख खर्चा होता है। जबकि आमदनी की बात करें तो आमदनी लगभग 6 लाख यानी कि 2 गुना होती है।

स्ट्रॉबेरी के साथ-साथ उगाते हैं यह फसलें

सीतापुर के रहने वाले मोहन राजवंशी बताते हैं कि वह स्ट्रॉबेरी की खेती के साथ-साथ गेंदे और खरबूजे की खेती कर लेते हैं जिससे उनकी अतिरिक्त आय हो जाती है। साथ ही वह गांव के लोगों को इस खेती के माध्यम से रोजगार भी उपलब्ध करा रहे हैं। जबकि सरकार स्ट्रॉबेरी की खेती को बढ़ावा देने के लिए ‘पहले आओ, पहले पाओ’ के आधार पर 50 हजार रुपए का अनुदान भी दे रही है। यह जानकारी सीतापुर जिले के जिला उद्यान अधिकारी ने दी।

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