सोने के आभूषण खरीदते समय रखें इन 5 बातों का ध्यान, नहीं तो हो सकता है बड़ा नुकसान

भारत देश में सोने की खरीदारी करना शुभ माना जाता है। चाहे कोई त्यौहार हो या फिर शादी विवाह का सीजन लोग जमकर सोने के आभूषणों की खरीदारी करते हैं। ऐसे में अगर आप भी सोने की खरीदारी करने जा रहे हैं तो आपको इन पांच बातों का निश्चित तौर पर ध्यान रखना होगा नहीं तो आप नुकसान उठा सकते हैं।

1-सबसे पहले अपने शहर में सोने के आभूषणों का पता करें रेट

Gold

यदि आप सोने के गहने या फिर सोने के सिक्के खरीदने जा रहे हैं तो सबसे पहले आपको अपने शहर में गोल्ड के रेट मालूम कर लेने चाहिए। क्योंकि हर शहर में सोने के रेट में अंतर देखने को मिलता है। दरअसल, स्थानीय ज्वेलर्स एसोसिएशन विदेशी बाजार में सोने के भाव के अनुरूप स्थानीय स्तर पर सोने के भाव तय करते हैं। अगर आप दिल्ली में सोने के गहने तरीके हैं तो आप दिल्ली सर्राफा एसोसिएशन के सोने के दाम के भाव बता कर ले। इसके साथ आप दो अन्य आभूषण विक्रेताओं से सोने की कीमत के बारे में पता कर सकते हैं।

2-सोने के कैरेट के बारे जान लें

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कैरेट से आप सोने की शुद्धता के बारे में पता लगा सकते। आभूषण की कैरेट जितनी अधिक होगी गोल्ड उतना ही प्योर होगा। और कैरेट जितना कम होगा सोना की कीमत उतनी नीचे जाएगी और कैरेट अधिक होने पर सोना महंगा होगा। अमूमन सोने के आभूषणों के विक्रेता अपने ग्राहकों से 24 कैरेट सोने की कीमत ले लेते हैं।

मगर आपको इस बात को हमेशा अच्छे से याद रखना चाहिए कि 24 कैरेट सोने से कोई भी आभूषण नहीं बन सकता है क्योंकि 24 कैरेट सोना काफी ठोस धातु के रूप में होता है। ऐसे में शुद्ध सोने से आभूषण बनाना काफी कठिन होता है। जिसके लिए इसे पिघलाकर अमूमन 22 कैरेट सोने के आभूषण ही बनाए जाते हैं।

3-हॉलमार्क निशान वाली ज्वेलरी की ही करें खरीद

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अगर आपको ना खरीदने जा रहे हैं तो आपको हॉलमार्क का निशान देखकर ही ज्वेलरी की खरीद करनी चाहिए।इसका निर्धारण ब्यूरो ऑफ इंडियन स्टैंडर्ड्स यानी कि बीआईएस करती है। यह संस्था कंज्यूमर को ज्वेलर्स द्वारा बेचे जा रहे गोल्ड की गुणवत्ता की जांच परख करती है।

अगर गोल्ड पर हॉलमार्क का निशान है तो समझिए कि आप जो सोना खरीद रहे हैं वह बिल्कुल शुद्ध है। लेकिन कई ऐसे भी आभूषण विक्रेता होते हैं जो बिना जांच परख की ही हॉलमार्क का निशान ज्वेलरी पर लगा देते हैं। ऐसी स्थिति में इस बात पर भी गौर करना जरूरी हो जाता है कि आप की ज्वेलरी में लगा हॉलमार्क का निशान प्रमाणिक है या नहीं।

असली हॉलमार्क पर भारतीय मानक ब्यूरो का तिकोना निशान होता है। इसके साथ ही आभूषण खरीदते समय आपको सोने की शुद्धता का सर्टिफिकेट भी ले लेना चाहिए।

4-ऐसी ज्वेलरी की खरीदारी करने से बचें

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यदि आप आभूषण खरीदने के लिए आभूषण विक्रेता के यहां जा रहे हैं तो आपको नगीने यानी कि जिस पर स्टोन लगा होता है ऐसे आभूषण खरीदने से प्रायः बचना चाहिए। ज्यादातर आभूषण विक्रेता गहनों की तौल करते समय नगीने को भी गोल्ड के वजन के रूप में अकाउंट कर लेते हैं और से आपसे उसके बराबर सोने के भाव के रुपए ले लेते हैं।

5- मेकिंग चार्ज का कर सकते हैं मोल भाव

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प्रत्येक आभूषण का मेकिंग चार्ज अलग अलग अलग होता है। इसकी वजह भी होती है क्योंकि आभूषणों की बनावट और फिनिशिंग डिफरेंट डिफरेंट होती है। मशीन द्वारा बनाई गई है का चार्ज कम होता है। मेकिंग चार्ज दो प्रकार के होते हैं जो सोने के मूल्य पर प्रतिशत या प्रति ग्राम गोल्ड पर फ्लैट मेकिंग चार्ज।

कई आभूषण विक्रेता ग्राहकों की मोलभाव करने पर मेकिंग चार्ज को घटा देते हैं। इसकी वजह भी साफ है क्योंकि अभी तक इस बारे में कोई मानक इस उद्योग में अभी तक तय नहीं किया गया है।